[IPS Indrajeet Mahatha Success Story] जब भी हमारे समाज में कोई शख्स बहुत अच्छा करता है, तो अक्सर लोग उसके परिणाम को देखते हैं। अगर कोई लड़का सफल होता है तो लोग उसकी सफलता देखते हैं। इस सफलता के पीछे कितना परिश्रम और त्याग उस व्यक्ति या उसके परिवार वालों ने किया होता है, ये बहुत कम ही लोग जानते हैं। भारत में हर साल सैंकड़ों बच्चे UPSC की परीक्षा पास करके सिविल सेवा में जाते हैं।
पर उनमे से कुछ बच्चों के संघर्ष और उनकी देश के सबसे बड़े एग्जाम को क्रैक करने की कहानी दिल में उतर जाती है। आज हम आपको एक ऐसे ही लड़के की यूपीएससी क्रैक करने की कहानी बताने जा रहें हैं, जिससे पढ़कर आप भावुक भी हो सकते हैं।
आज (IAS Success Story) में हम आपको झारखण्ड के बोकारो जिले से आने वाले इंद्रजीत महथा की कहानी बता रहें हैं। बोकारो जिले के छोटे से गाँव से तालुख रखने वाले इंद्रजीत महथा का जन्म बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। इंद्रजीत का परिवार कितना गरीब था, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की उनकी कच्ची मकान बारिश के समय रहने लायक नहीं होती थी। घर की दीवाल में बीच से क्रैक आ चूका था।
एक इंटरव्यू में बात करते हुए इंद्रजीत ने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा की हमारी घर की हालत ऐसी हो गयी थी की उसमे रह नहीं सकते थे। इसलिए उनकी माँ और बहनों को उनके मामा के यहाँ रहने के लिए जाना पड़ा था। हालाँकि वो यहीं अपने पिता के पास रहते थे। इंद्रजीत तब 5 वीं कक्षा में थे और स्कूल होने के वजह से वो यही रुक गए थे।
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इंद्रजीत बताते है की जब उनका घर रिपेयर हो रहा था, तब उनके पिता ने सिर्फ एक ही इंसान को काम पर रखा था। खुद उनके पिता और और उन्होंने मिलकर अपने घर को ठीक किया था। इंद्रजीत के पास नए किताब खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे इसलिए वो रद्दी में मिलने वाले पुराने किताबों को खरीद कर ही पढ़ा करते थे। इंद्रजीत कहते हैं की उन्हें यूपीएससी क्या होता है इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
पर जब वो छोटे थे तभी उन्होंने अपने टीचर से ये सवाल किया था की जिले का मालिक कौन होता है? इसपर उनके शिक्षक ने जवाब दिया था डीएम। तभी से इंद्रजीत ने आईएएस बनने का इरादा कर लिया था। इंद्रजीत के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पर उनके पिता का भी यही सपना था की उनका बेटा पढ़े और कुछ बड़ा करे इसी लिए जब इंद्रजीत को आगे पढ़ने के लिए बहार जाना पड़ा और उन्हें पैसे की जरुरत थी, तब उनके पिता ने अपनी जमीन बेच दी थी। इंद्रजीत बताते हैं की उनकी पढाई के लिए घर की लगभग 80% जमीन बिक गयी थी।
इंद्रजीत कहते हैं की एक बार उनके पिता ने कहा थी के बेटा तुम बढ़िया से पढ़ो। तुम्हारे लिए खेत क्या चीज है अपनी किडनी तक बेच दूंगा। इंद्रजीत महथा को साल 2008 में हुए यूपीएससी की परीक्षा में 111 वां रैंक मिला था। इंद्रजीत का सपना हमेशा से आईएएस बनने का था पर उन्हें जब आईपीएस में झारखंड कैडर मिला तब उन्होंने अपनी जन्मभूमि को ही अपनी कर्मभूमि बानाने का निर्णय कर लिया।
सुनिए इंद्रजीत महथा की संघर्ष भरी कहानी उन्हीं की जुबानी
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इंद्रजीत कहते है की संघर्ष हर इंसान के जीवन में होता है तथा संघर्ष और दुख में अंतर होता है। दुख की क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती है पर संघर्ष इंसान को और अधिक मजबूत बनता है, इसलिए हमें संघर्षों के बावजूद परिश्रम करते रहना चाहिए। कहते हैं न कुछ लोग संघर्षों में टूट जाते हैं और कुछ निखार जाते हैं। इंद्रजीत इन संघर्षों से निकलकर देश की सबसे बड़ी परीक्षा क्रैक कर पाए थे।
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